देश भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 26000 से अधिक हो चुकी है। ऐसे में जनता के बीच यह सबसे बड़ा सवाल हो सकता है। क्या 3 मई के बाद तालाबंदी अवधि में राहत मिलेगी या आगे बढ़ेगी? इन सवालों के संदर्भ में, केवल इतना पता है कि पीएम इस संबंध में राज्यों के सीएम से बात करने वाले हैं।
प्रधानमंत्री भारत में लॉकडाउन पर आगे की रणनीति के मद्देनज़र वीडियो कॉन्फ़्रेंस के माध्यम से देश के मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद कर सकते हैं। पीएम के साथ सीएम की इस मुलाकात पर लोगों की नजर होगी। ताकि आगे का रास्ता साफ़ हो।
तालाबंदी में दुनिया की स्थिति
आज, तालाबंदी संकट ने न केवल चीन बल्कि पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। और दुनिया की अर्थव्यवस्था को एक ठहराव में ला दिया है। पूरी दुनिया के सामने सवाल यह है कि डूबती अर्थव्यवस्था को कैसे निपटा जाए।
भारत की अर्थव्यवस्था पहले ही सरकारी नीतियों के कारण अंतिम सांसें गिन रही थी। लेकिन, लॉकडाउन ने उसे पूरी तरह से मार दिया है। आरबीआई के पूर्व गवर्नरों ने लॉकडाउन समाप्त होने के बाद अर्थव्यवस्था की तेज वापसी पर संदेह व्यक्त किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने विशेष सुविधा के तहत म्यूचुअल फंड कंपनियों को 50,000 करोड़ रुपये के नकद हस्तांतरण की घोषणा की है।
गुजरात: इस वायरस का प्रकोप यहां अधिक है। संक्रमितों की संख्या अब तक 2000 से ऊपर पहुंच गई है। कांग्रेस राजनीतिक दल के एक वरिष्ठ नेता बदरुद्दीन शेख का निधन हो गया है।
वहीँ, दिल्ली मैक्स अस्पताल में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ता के संक्रमण, स्वास्थ्य क्षेत्र की लापरवाही को दर्शाता है।
तालाबंदी संकट से सीख

इस संकट ने निश्चित रूप से दुनिया को प्राकृतिक असंतुलन को संतुलित करने का रास्ता दिखाया है। महत्वपूर्ण सबक यह है कि दुनिया को बचाने के लिए कुछ करने से बेहतर कुछ न करना हो सकता है।
क्योंकि, रिपोर्टों से पता चलता है कि इस लॉकडाउन के दौरान प्राकृतिक असंतुलन के मामले में काफी सुधार हुआ है। यह भी पढ़ाया – बिना प्राकृतिक दोहन किये जरूरियात संसाधनों पर जीवन-यापन किया जा सकता है।
प्रवासी मजदूरों की समस्या
लॉकडाउन ने प्रवासी मज़दूरों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। सभी दिशाओं से चौंकाने वाली खबर आ रही है। जो निश्चित रूप से मानवता को शर्मसार करने वाली सरकारों की नीतियों पर सवाल उठाता है।
गुड़गाँव: एक गरीब मज़दूर पैसा नहीं होने की स्थिति में अपनी आंखों के सामने बच्चे को भूखा नहीं देख सकता था। उन्होंने अपने मोबाइल को सबसे पहले बेच दिया ताकि बच्चे की भूख मिट सके। फिर उसने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।
जिसके मायने यह है कि जहां यह ग़रीबों के लिए जेल है, वहीं तालाबंदी मध्यम वर्ग के लिए छुट्टी है। हालांकि, कई राज्य ग़रीबों को अनाज मुहैया करवा रही है।
तालाबंदी में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

ऐसी स्थिति में, डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति कहते हैं – लोग उन्हें बताते हैं कि वह अमेरिका के इतिहास में सबसे मेहनती राष्ट्रपति हैं। तभी मीडिया में ख़बरें आयी कि डोनाल्ड ट्रंप समस्याओं पर ध्यान न देकर आराम फरमा रहे हैं।
हालांकि, ट्रंप ने ट्वीट करके जल्द ही इसका खंडन किया। प्रतिनियुक्ति में, उन्होंने कहा कि वह दिन-रात काम कर रहे हैं। कई जरूरी मुद्दों पर नजर रखने के लिए वह कई महीनों से व्हाइट हाउस में बैठे हैं। यह लिखने वाले असाधारण पत्रकार को मेरी कार्य पद्धति का पता नहीं है।
हालांकि, जिस प्रकार उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के लिए दबाव बनाया, निस्संदेह उनके कार्यप्रणाली व आचरण का पता चलता है।
सारांश में, दुनिया के उन्नत देश अमेरिका के राष्ट्रपति ने अभी तक कोई बयान नहीं दिया है और कोई काम नहीं दिखाया है – ताकि यह लगे कि वह दुनिया को इस संकट से निकालने के लिए कोई कदम उठा रहा है।
बहरहाल, दुनिया के तमाम देशों के लोगों के साथ-साथ सभी सरकारों को इस तालाबंदी से सबक लेते हुए आगे कदम उठाना चाहिए। हमें यह समझना होगा कि अपने फायदे के लिए प्राकृतिक का बेलगाम दोहन कितना भरी पड़ सकता है।
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